हिमाचल प्रदेश के बारह जिलो के प्रमुख मन्दिर
हिमाचल प्रदेश के बारह जिलो के प्रमुख मन्दिर
हिमाचल को प्राचीन काल से ही देव भूमि के नाम से संबोधित किया गया है।यदि हम ये कहें कि हिमाचल देवी देवताओं का निवास स्थान है तो ये बिल्कुल भी गलत नही होगा। हमारे कई धर्म ग्रन्थों में भी हमे हिमाचल का विवरण मिलता है। महाभारत,पदमपुराण और कनिंघम जैसे धर्म ग्रन्थों में हमे हिमाचल का विवरण मिलता है। इस सब से हम ये अनुमान लगा सकते है कि हिमाचल प्राचीन काल से ही देवी देवताओं का प्रिय स्थान रहा है और हमे गर्व होना चाहिए कि हमने ऐसे स्थान पे जन्म लिया है।तो आज हम सब हिमाचल के अलग अलग जिलो में मोजूद महत्वपूरण मंदिरो पर प्रकाश डालेंगे।
हमीरपुर: हमीरपुर में वैसे तो अनगिनत मंदिर है परंतु आज में आप सब का इस जिले के महत्वपूर्ण मंदिरो से परिचय करवाऊंगा ।
1.बाबा बालक नाथ: यह मंदिर शिवालिक पहाड़ियों पे स्थित है।यह हमीरपुर के दियोटसिद्ध में स्थित है। इस मंदिर में महिलायों का प्रवेश वर्जित है।
2.मुरली मनोहर मंदिर: यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण भी राजा संसारचंद ने 1790 में कराया था।
3.गौरी शंकर मंदिर: यह मंदिर हमिरपुर के सुजानपुर टिहरा में सथित है।इस मंदिर का निर्माण राजा संसारचंद ने 1793 ई. में करवाया था।
बिलासपुर : बिलासपुर जिला प्राचीन समय में कहलूर के नाम से जाना जाता था।इस जिले के महत्वपूर्ण मंदिर है:
1.श्री नैना देवी मंदिर: यह एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है ना कि हिमाचल में बल्की पूरे भारत वर्ष में।यह इक्यावन(५१) शक्तिपीठों में से एक है तथा ऐसी मान्यता है कि यहां सत्ती के नैण गिरे थे।इस मसन्दिर का निर्माण वीरचंद ने करवाया था।
2.गोपाल जी मंदिर: यह मंदिर भी भगवान मदन गोपाल को समर्पित है । इस मंदिर का निर्माण राजा आनंद चंद ने 1938 ई. में करवाया था।
3.देवभाटी मंदिर: देवभाटी मंदिर ब्रह्मपुखर का निर्माण राजा दीपचंद ने करवाया था।
ऊना : ऊना जिला काफी धार्मिक प्रवित्ति का है। यहाँ के लोग बड़े धार्मिक विचारों के है। यहां के विभिन्न मंदिर इस प्रकार है:
1.चिंतपूर्णी मंदिर: यह मंदिर भी हिमाचल में ही नही अपितु भारत वर्ष में प्रसिद्ध है।यह भी एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है ऐसी मान्यता है कि यहाँ माता का मस्तिष्क गिरा था।इसी वजह से इसे चीनमस्तिष्का के नाम से भी जाना जाता है।
2.भ्रमोति: यह मंदिर भगवान ब्रह्म को समर्पित है। आप मे से बहुत कम इसके बारे में जानते होंगे क्योंकि ब्रह्म जी के पूरे संसार मे केवल दो ही मंदिर है एक पुष्कर राजस्थान व दूसरा यहाँ ऊना में, परन्तु ये पुष्कर जितना प्रसिद्ध नहीं है।
3.गरीब नाथ :यह मंदिर बहुत ही सुंदर जगह पे है। यह मंदिर सतलुज नदी के भीतर बना हुआ है तथा मंदिर में जाने के लिए नाव पे जाना पड़ता है। यहां पर एक शिवजी की बहुत ही सुंदर प्रतिमा है।
सोलन :सोलन में बहुत मंदिर है आपको यह जानकर खुशी होगी कि सोलन शहर का नाम वहाँ की देवी शूलिनी के नाम पे ही पड़ा है।यहाँ के प्रमुख मंदिर है:
1. शूलिनी देवी:यह मंदिर सोलन में ही स्थित है।हर वर्ष यहां पे शूलिनी माता का मेला लगता है।यह मेला रक सप्ताह तक चलता है।
2.जटोली मंदिर: यह मंदिर ओचघाट के समीप है। यह एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है।इसका नाम शिव की लम्बी लम्बी जटाओं से पड़ा है।
3.काली का टिब्बा: यह सोलन के चैल में स्थित काली देवी का मंदिर है। यहाँ से आप चुरचांदनी और शिवालिक पहाड़ियों का मनोरम दृश्य देख सकते है।
सिरमौर : सिरमौर में हिमाचल के काफी पवित्र स्थान है यहाँ भगवान परशुराम की माता रेणुका जी का मंदिर है व ऐसी मान्यता है कि वे यहां झील के रूप मे हैं।अन्य मुख्य मंदिर इस प्रकार है:
1.शिगुर्ल मंदिर: यह मंदिर चूड़धार पहाड़ी पर स्थित है।यह मंदिर भगवान शिगुर्ल को समर्पित है। यह बहुत ही ऊंचाई पे स्थित है लगभग 3647 मी. ,यहां भगवान शिव की प्रतिमा है।
2. गायत्री मंदिर: गायत्री माता को वेदों की माता भी कहा जाता है ।यह मंदिर रेणुका में स्थित है।इस का निर्माण महात्मा पराया नंद ब्रह्मचारी ने करवाया था।
3. बाला सुंदरी मंदिर: यह मंदिर सिरमौर के त्रिलोकपुर में स्थित है।इस मंदिर का निर्माण दीप प्रकाश ने 1573 ई. में करवाया था यरह माता बाल सुंदरी को समर्पित है।
मंडी: मंडी को हिमाचल की छोटी काशी भी कहते है ।यहाँ पर इक्यासी(९१) मंदिर है जबकि वाराणसी में अस्सी(९०) मंदिर है।यहां के मुख्य मंदिर इस प्रकार है
1 भूतनाथ मंदिर : राजा अजबर सेन ने इस मंदिर का निर्माण 1526 ई. में करवाया था।यह मंदिर मंडी में स्थित है तथा यह अर्धनारीश्वर को समर्पित है।
2 श्यामस्काली मंदिर: यह मन्दिर मंडी में स्थित है तथा इसका निर्माण राजा श्यामसेन ने करवाया था।
3 पराशर मंदिर: यह मंदिर बाणसेन ने बनवाया था।यह मंडी की प्रसिद्ध झील पराशर के किनारे स्थित है।
शिमलाः हिमाचल की राजधानी शिमला तो आप सब से परिचित ही है मुझे नही लगता कि इसका कुछ परिचय देने की जरूरत है।आप सब को ये जान कर हैरानी होगी कि शिमला का नाम भी किसी देवी के नाम पर पड़ा है। जी हाँ शिमला का नाम श्यामला देवी से पड़ा है।श्यामला देवी भगवती काली का दूसरा नाम है।यहाँ के प्रमुख मंदिर है:
1 जाखू मंदिर: ऐसी मान्यता है कि जब श्री हनुमान जी लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लेने गए थे तो उन्होंने यहां पर विश्राम किया था।यह मंदिर शिमला के जाखू में स्थित है। यह भगवान हनुमान जी को समर्पित है।यहाँ हनुमान जी की 108 फुट ऊंची मूर्ति बनाई गई है।
2 सूर्य मंदिर: यह मंदिर भगवान सुर्य को समर्पित है।कोणार्क के बाद ये दूसरा सुर्य मंदिर है भारत मे।यह शिमला के ‘नीरथ ‘ में स्थित है।
3 कालीबाड़ी मंदिर : यह मंदिर शिमला में स्थित है। यह मंदिर काली माता को समर्पित है।इन्हें ही श्यामला देवी भी कहा जाता है।इन्ही के नाम पर शिमला शहर का नामकरण हुया है।
कुल्लू: कुल्लू में बहुत देवी देवताओं ने वास किया था। कुल्लू राजवंश की कुल देवी माता हिडिम्बा को माना जाता है।निरमण्ड को कुल्लू की छोटी काशी कहते हैं।यहाँ के मुख्य मंदिर इस प्रकार है:
1. हिडिम्बा देवी: हिडिम्बा देवी का मंदिर मानाली में स्थित है जिसे कुल्लू के राजा बहादुर सिंह ने 1553 ई. में बनवाया था।हिडिम्बा देवी भीम की पत्नी थी। यह मंदिर पैगोडा शैली का बना हुआ है।इस मंदिर में हर वर्ष मई के महीने में डूंगरी मेला लगता है।
2 बिजली महादेव मंदिर: यह मंदिर कुल्लू से 14 किलोमीटर दूर ब्यास नदी के किनारे स्थित है।यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यहां हर वर्ष शिवलिंग पर बिजली गिरती है।
3 जामलु मंदिर : यह मंदिर विश्व प्रसिद्ध मलाणा गांव में स्थित है।मलाणा गांव में पूरे विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र आज भी मन जाता है।यह मंदिर जमदग्नि ऋषि को समर्पित है।
कांगड़ा: कांगड़ा जिला भी पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है यहाँ का ब्रिजेश्वरी मन्दिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु आते है व उनकी कई मनोकामनाएं पूर्ण होती है।यहाँ के मुख्य मंदिर इस प्रकार है
1. ब्रिजेश्वरी मंदिर: यह मंदिर 51 शक्ति पीठो में से एक है। यहां माता सती का धड़ गिरा था।यह मंदिर कांगड़ा बस स्टॉप से 3 कम की दूरी पर स्थित है।
2. मसरूर मंदिर: इस मंदिर को रॉक कट मंदिर भी कहते है। यह पांडवो द्वारा निर्मित बहुत ही प्राचीन मंदिर है।0 यह भगवान शिव को समर्पित है। इसे हिमाचल का अजंता भी कहते है।यह मंदिर कांगड़ा के नगरोटा सूरियां में स्थित है
3 ज्वालामुखी मंदिर: यह भी 51 शक्तिपीठों में से एक एक है।यहाँ माता सत्ती की जीभ गिरी थी।अकबर ने यहाँ सोने का छतर चढ़ाया था जो माता ने स्वीकार नहीं किया व वह किसी अन्य धातु में परिवर्तित हो गया।महाराजा रणजीत सिंह ने यहाँ 1813 ई . में स्वर्ण जल का गुम्बद बनवाया था। यह कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी में स्थित है।
किन्नौर : यहाँ हिमाचल के अति प्राचीन मंदिर मिलते है।ऐसा मानना है कि पांडव अपने अज्ञात वास के दौरान यहाँ रहे थे।यहाँ के मंदिरों में मुख्यता लकडी व पत्थरो पे शिल्प के नमूने मिलते है।यहाँ के मुख्य ममंदिर इस प्रकार है:
1.चंडिका मंदिर: यह मंदिर किन्नौर के कोठी में स्थित है तथा यह माता चंडिका को समर्पित है। चंडिका बाणासुर की पुत्री थी। चंडिका माता को दुर्गा माता का स्वरूप माना जाता है।
2. माठि देवी मंदिर: यह मंदिर चितकुल जो भारत का आखिरी गांव है वहाँ स्थित है। चितकुल गांव के लोग माठि देवी को बहुत मानते है।
3. मोरंग मंदिर किन्नौर: यह पांडवो द्वारा निर्मित बहुत ही सुंदर मन्दिर है।यह पहाड़ की चोटी पर स्थित है तथा प्राचीन समय में पांडवो ने इस के निर्माण करवाया था।किन्नौर के लोग आज भी इस मंदिर को बड़ा मानते है।
चम्बा: चम्बा जिला को शिव भूमि भी कहा जाता है।यहाँ शिव जी का निवास स्थान मणिमहेश भी है।हर वर्ष लोग मणिमहेश की यात्रा में बड़ चड कर भाग लेते है।यह यात्रा मुख्यता जुलाई -अगस्त मास में होती है।यहां के अन्य मुख्य मंदिर है
1.लक्ष्मी देवी मंदिर: इस मंदिर का निर्माण साहिल वर्मन द्वारा कराया गया था।यह चम्बा में स्थित है।यह मुख्यता छह मंदिरो का समूह है।
2 . सुई माता मंदिर: यह मंदिर माता नैना देवी जो साहिल वर्मन की पत्नी थी उनको समर्पित है।माता नैना देवी ने चम्बा में पानी लाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था।यहाँ हर वर्ष उनकी याद में सुई मेला लगता है।
3. मणिमहेश मंदिर: इस मन्दिर का निर्माण मेरु वर्मन ने करवाया था।चम्बा के भरमौर में चौरासी मंदिरो का समूह भी है।मणिमहेश यात्रा के समय इन मंदिरो के दर्शन जरूर करते है श्रद्धालु।
लाहौल स्पिति: लाहौल स्पीति हिमाचल का सबसे दुर्गम व सबसे बड़ा जिला है।यहाँ के लोग मुख्यता हिन्दू व बोध धर्म को मानते है।यहाँ के प्रसिद्ध मंदिर इस प्रकार है:
1.मृकुला देवी: यह मंदिर लाहौल के उदयपुर में स्थित है।इस मंदिर का निर्माण अजय वर्मन द्वारा करवाया गया था।यह मुख्यता लकड़ी से बना हुआ मंदिर है।
2 त्रिलोकीनाथ मंदिर: यह मंदिर लाहौल स्पीति के उदयपुर में स्थित है। यहाँ पर अविलोकतेश्वर की मूर्ति है। यह मंदिर हिंदुयों और बोध दोनों सम्प्रदायों के लिए पूजनीय है।
3 गुरु घंटाल गोम्पा : लाहौल के तुपचलिंग गांव में स्थित है।यहाँ अविलोकतेश्वर की 8 वीं शताब्दी की मूर्ति है जिसका निर्माण पद्मसंभव नर करवाया था।यहाँ हर वर्ष जून माह में घंटाल उत्सव मनाया जाता है।
आशा है आप सब को मेरा यह छोटा सा प्रयास पसंद आया होगा।
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